मुख्यमंत्री के गांव के पास तुर्री में रहते हैं बाघ देवता

मुख्यमंत्री श्री साय और उनकी धर्मपत्नी ने मंदिर में स्थापित कुल देवता के दर्शन किए

मांगी प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली, मुख्यमंत्री के पूर्वज का है मंदिर

जशपुर/रायपुर- छत्तीसगढ़ में आदिवासी परंपरा की बात ही निराली है। प्रदेश के बीहड़ आदिवासी इलाके हों या पठारी इलाका चहुंओर आदिवासियों समुदाय ने अपने कुल पंरपरा व मान्यताओं को जीवंत रखा है। छत्तीसगढ़ परंपराओं का प्रदेश है। यहां सभी समुदायों में विविधता के रंग बसे हुए हैं। ऐसा ही दृष्टांत आज देखने को मिला जब प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तुर्री गांव पहुंचे। यह गांव मुख्यमंत्री के गृहग्राम बगिया के नजदीक बंदरचुवा से लगा हुआ है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या साय ने शुक्रवार को तुर्री गांव पहुंचकर पूर्वज स्व. सरदार भगत साय (सरदार बूढ़ा) की स्मृति में स्थापित मंदिर में कुल देवता के दर्शन किए और प्रदेश की खुशहाली व समृद्धि की कामना की।

श्री साय के पूर्वज की स्मृति में बनाया गया है मंदिर-

मुख्यमंत्री के पूर्वज स्व. सरदार भगत साय (सरदार बूढ़ा) की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण कराया गया है।

यह बताते चलें कि मुख्यमंत्री के पूर्वज स्व. सरदार भगत साय (सरदार बूढ़ा) की स्मृति में इस मंदिर का निर्माण कराया गया है। तुर्री घने जंगल और पहाड़ियों से घिरी हुई जगह है। बाघ के हमले से उनके पूर्वज ने प्राण त्यागे थे। इसलिए बाघ में पूर्वज का वास मानकर श्री साय का परिवार और आसपास के जनसमुदाय बाघ स्वरूप देव की पूजा-पाठ करते आ रहे हैं।

श्रद्धा के सुमन अर्पित कर राहगीर पूरी करते हैं अपनी यात्रा-

तुर्री बंदरचुआ के मंदिर में स्थापित बाघ देवता। लोग बड़ी श्रद्धा से इसे आस्था और आध्यात्म का विशेष स्थल मानते है।

तुर्री गांव के निवासी विकास कुमार साय ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री साय के पूर्वज हैं भगत साय और दवेल साय। तुर्री के घने जंगल के बीच भगत साय पर बाघ ने हमला किया था। इसकी वजह से उनके प्राण चले गए थे। इसलिए श्री साय का परिवार पूर्वज स्व. सरदार भगत साय (सरदार बूढ़ा) का वास मानकर बड़ी आस्था के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। परिवार की मान्यता है कि मूल स्थान के बगल में बाघ में भगत साय की देव स्वरूप वास मानकर इस स्थान पर बाघ की मूर्ति स्थापित की गई है। दूसरे भाई दवेल साय के वंश वृद्धि के फलस्वरूप मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अवतरित हुए हैं। साय परिवार के अलावा अन्य ग्रामीण भी तुर्री के इस स्थान को आस्था और आध्यात्म का विशेष स्थल मानते है। इस देव स्थल के विशेष महत्व के कारण यहां से गुजरने वाले राहगीर व श्रद्धालुजन फूल दूब और माला अर्पित कर अपनी यात्रा के लिए आगे बढ़ते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, पूर्वजों के आशीर्वाद से ही शुभ कार्य संपन्न होते हैं-

बताते चलें कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय प्रदेश के मुखिया बनने के बाद पहली बार गृहग्राम बगिया पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री श्री साय और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या साय ने बंदरचुवा के पास तुर्री गांव पहुंचकर कुल देवता के दर्शन किए। मुखिया दंपती ने कुलदेवता को गुड़, नारियल, पान व सुपारी अर्पित कर प्रदेश की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मंदिर स्थल में गांव के पुजारी ने मुख्यमंत्री को विधि-विधान से पूजा पाठ कराया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि पूर्वजों के आशीर्वाद से ही शुभ कार्य संपन्न होते हैं। अपने कुलदेवता का आशीर्वाद लेकर प्रदेश की खुशहाली के लिए निरंतर कार्य करूंगा।

 

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