आज पुत्रदा एकादशी है। 

पुराण व शास्त्रों में  पुत्रदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है।

 पुत्रदा एकादशी व्रत करने वालों को भगवान श्रीविष्णु की विशेष कृपा के साथ मिलने के साथ उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। 

 द्वापर युग के आरंभ में महिरूपति के राजा महीजित का कोई पुत्र नहीं था। वह अक्सर दुखी रहता था।

ऋषियों ने राजा को दुख का कारण बताया कि, तुमने पूर्व जन्म में सावन माह की एकादशी के दिन अपने तालाब से एक गाय को पानी पीने नहीं दिया था। 

इस कारण राजा को उस गाय ने संतान न होने का श्राप दिया था।

 ऋषियों ने राजा को सलाह दी कि यदि तुम पत्नी के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत रखें तो इस श्राप से मुक्ति पा सकते हो। 

राजा ने सावन माह में पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा और उसकी पत्नी ने तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया।

जो साधक पूरे मन व श्रद्धा के साथ यह व्रत करता है भगवान विष्णु उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।